हमारे कुल की कुलदेवी को हमारा शत शत नमन
श्री जीण माता राजस्थान और हरियाणा के अनेक समुदायों के कुल की कुल देवी है और कलयुग की अवतारी होने का गौरव भी जीण माता को ही प्राप्त है.
||माता के नित्य दर्शन||
जीण माता का परिचय
लोक काव्यों व गीतों व कथाओं में जीण का परिचय मिलता है। लोक कथाओं के अनुसार जीण माता का जन्म अवतार राजस्थान के चुरू ज़िले के घांघू गांव के अधिपति एक चौहान वंश के राजा घंघो सिंह के घर में हुआ था। जीण माता के एक बड़े भाई का नाम हर्ष था। माता जीण को शक्ति का अवतार माना गया है और हर्ष को भगवन शिव का अवतार माना गया है।
|| मंगलपाठ ||
जीण जीण भज बारम्बारा
हर संकट का हो निस्तारा
नाम जपे माँ खुश हो जावे
संकट हर लेती हैं सारा
जय अम्बे जय जगदम्बे..
जय अम्बे जय जगदम्बे..
।।श्री जीण भगवत्यै नमो:।।
श्री जीण शत-स्तोत्र
दोहा
सदा भवानी दाहिनी, सन्मुख रहे गणेश|
पाँच देव रक्षा करे, ब्रह्मा, विष्णु, महेश।।
जय-जय जीण माँ मंगल करनी। जय जय ज्वाला संकट हरनी।।
सती साध्वी दक्ष कुमारी। हे जग जननी शिव को प्यारी।।
दुर्गा-आर्या-जया त्रिलोचनी। भव- प्रीता जय-जय भवमोचनी।।
अन्नपूर्णा – सर्वव्यापिनी। सिंह_वाहिनी सब सुख दायिनी।।
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